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लेखनी कहानी -03-Dec-2022 वो हैं जरा खफा खफा

आजकल जिसे देखो वो ही खफा खफा सा नजर आता है । क्या प्रेमी और क्या प्रेमिका , दोनों ही खफा खफा हैं । यद्यपि प्रेमी को खफा होने का अधिकार नहीं है । और बाई द वे अगर वह खफा हो भी जाये तो उसे इजहार करने का तो अधिकार कतई नहीं है क्योंकि खफा होने पर सर्वाधिकार केवल प्रेमिका का ही है । 

प्रेमिका के खफा होने की भी कोई वजह होती है क्या ? वजह तो ढूंढी जाती हैं । बस मन में ठान लो कि रूठना है तो रूठने के हजार कारण गिनाए जा सकते हैं । एक प्रेमिका बस इसी बात पर रूठ गई कि प्रेमी ने "गुड मॉर्निंग" का मैसेज नहीं भेजा था । प्रेमी ने उसे लाख मनाने की कोशिश की और कहा कि वह सारी रात तो उससे चैटिंग में व्यस्त था तो उसके लिए तो सुबह हुई ही नहीं थी फिर वह गुड मॉर्निंग का मैसेज कैसे भेजता ? मगर इससे क्या होता है , प्रेमिका को तो रूठना था सो वह रूठ गई । 

एक प्रेमिका का रूठने का कारण बहुत अजीब था । प्रेमी ने उसके मोबाइल को रीचार्ज कराते समय इतना सा कह दिया था कि जानूं, कल ही तो 500 रुपये का रीचार्ज करवाया था । मगर प्रेमिका का कहना है कि उसने ये प्रश्न पूछा ही क्यों ? यह क्या , प्रेमी का हर प्रश्न वर्जित है । उसे प्रश्न पूछने का कोई अधिकार नहीं है । उसे तो केवल प्रेमिका की हां में हां मिलाने का कर्तव्य है , अधिकार नहीं । प्रेमिका और प्रेमी के संबंध सरकार और नागरिक जैसे हैं । नागरिक प्रेमिका की तरह हैं जिन्हें सब मौलिक अधिकार मिले हुए हैं । हांलाकि उसके मौलिक कर्तव्य भी हैं लेकिन नागरिक यह बात मानने को कतई तैयार नहीं हैं कि उसके भी कोई मौलिक कर्तव्य हैं । नागरिक तो यह मानकर चलते हैं कि सारे कर्तव्य केवल सरकार के हैं और अधिकार केवल नागरिकों के हैं । मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का इतना स्पष्ट विभाजन किसी अन्य देश में नहीं है । यही तो हमारे लोकतंत्र की खूबी है । 

एक लेखक की लेखिका प्रेमिका महज इस बात पर रूठ गई कि लेखक की रचना पर एक पाठिका ने समीक्षा में लिख दिया "आप बहुत अच्छा लिखते हैं" । बेचारे लेखक महोदय ने उस कमेंट को लाइक कर दिया । बस इसी बात पर उसकी प्रेमिका रूठ गई । प्रेमिका का कहना है कि इस तरह लिखने का अधिकार केवल उसका है अन्य किसी का नहीं । बेचारा लेखक कहता ही रह गया कि इसमें गलत क्या है ?  और वह किसी पाठक को कैसे रोक सकता है ? प्रेमिका बोली "ये सब उसे नहीं पता" । उसे ज्यादा गुस्सा इस बात पर आया कि उस कमेंट को प्रेमी ने लाइक भी किया था । इसका मतलब ये समझा गया कि लेखक महोदय उसे भी लाइक करते हैं । अब इस "वहम" का इलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था , ये तो बेचारा प्रेमी था । 

एक बार एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से खफा हो गया और उसने एक पोस्ट इसी बात पर लिख मारी । प्रेमी महोदय भयंकर गलती कर बैठे । पहली बात तो यह है कि प्रेमी को खफा होने का कोई अधिकार ही नहीं था । दूसरी बात यह थी कि उसने खफा होने पर एक रचना लिख कर पोस्ट कर दी । यह तो धारा 302 से भी बड़ा अपराध था इसलिए प्रेमिका का खफा होना लाजिमी है । अब प्रेमी उसे मनाने के लिए उसकी प्रशंसा में गीत, गजल, मुक्तक, कविता वगैरह सब लिख रहा है मगर प्रेमिका है कि मानती नहीं । 

एक प्रेमिका के खफा होने का कारण और भी अजीब था । प्रेमी ने एक गाना स्टारमेकर पर गाया और पोस्ट कर दिया । उस गाने को किसी महिला ने ज्वाइन कर लिया । बस इसी बात पर प्रेमिका खफा हो गई । उसका कहना था कि प्रेमी के गानों को केवल वह ही ज्वाइन करेगी अन्य कोई नहीं । जब प्रेमी ने कहा "आपके गानों को भी तो बहुत सारे लोग ज्वाइन करते हैं" । तब प्रेमिका बोली "हां , उन सबको मैंने ही कहा था ज्वाइन करने के लिए" । बेचारा प्रेमी हक्का बक्का रह गया । 

अजी छोड़िये भी , प्रेमी प्रेमिका के बीच हम क्यों "दाल भात में मूसलचंद" बनें ? उनकी मरजी वे खफा हों या "लारालप्पा" करें, हमें क्या । 

श्री हरि 
3.12.22 


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4 Comments

Pratikhya Priyadarshini

04-Dec-2022 10:35 PM

Nice 👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Dec-2022 06:45 AM

धन्यवाद जी

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Gunjan Kamal

04-Dec-2022 05:22 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

05-Dec-2022 06:45 AM

धन्यवाद जी

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